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मंडन भारतीके ऊर्जायुक्त कोशीकी धरती अनादि काल से ज्ञान विज्ञानकला एवं संस्कृति का केंद्र रही है । कोसी की विभीषिका ने यहां की आर्थिक विकास कोअवरुद्ध किया ,परंतु ज्ञान की पिपासा समय समय ज्ञान की बिपाशा को धूमिल कर नहीं कर पाई ।इस धरती की संस्कृति एवं संस्कार की परंपरा को जीवंत रखने के लिए समय समय पर अनेक मनीषियों ने शिक्षण संस्थान की स्थापना का स्वप्न देखते रहे।इसी के फलस्वरूप इस अल्प विकसित क्षेत्र की परंपरा को सुदृढ करने हेतु 26 जनवरी 1980 को सहरसा के बुद्धिजीवियों ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बहु आयामी मानक महाविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया । यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

 

अभ्युत्थान धर्मस्य तदात्मानं सृजा ।कोसी प्रमंडल के मुख्यालय में स्थानीय सर्व नारायण सिंह राम कुमार सिंह महाविद्यालय आज विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई के रूप में काफी पुष्पित पल्लवित एवं विकसित है।समाज के सभी वर्गों के शिक्षाविदों ने इस पुनीत कार्य में अपना सार्थक सहयोग दिया।महाविद्यालय के दाता एवं संस्थापक के रूप में स्वर्गीय बाबू जयनारायण सिंह एवं श्री चंद्रमा सिंह मित्र दो सामने आए।ये मित्र द्वारा अपने अपने पिता के संयुक्त नामांकरण से महाविद्यालय की स्थापना की।बाबू जय नारायण सिंह के पिता स्वर्गीय सर्व नायर सिंह एवं बाबू चंद्रमा सिंह के पिता स्वर्गीय राम कुमार सिंह जी थे।इन दो महान दाताओं के अतिरिक्त स्थानीय कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस सत्कर्मों में अपनी भागदारी दिए ,जिनमें मुख्य रूप से स्वर्गीय बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह बढ़िया अधिवक्ता , पूर्व विधायक एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय परमेश्वर कुंवर,स्वर्गीय रमेश झा (पूर्व मंत्री),श्री महादेव सिंह (मुखिया - नरियार) स्वर्गीय चंद्रेश्वर सिंह,रहुआमनी,स्वर्गीय महेश प्रसाद सिंह ,श्री तारकेश्वर प्रसाद सिंह, स्वर्गीय चुन्नू सिंह,श्री बिनदेशवरी श्री सिंह, सैयद मोहम्मद हुसैन साहब, श्री मधु मधुसूदन सिंह, स्वर्गीय डॉक्टर मनोरंजन झा एवं स्वर्गीय अनुरुद्ध कुंवर आदि के सतत प्रयासों से इन भविष्यदर्शी कल्पना ने साकार रूप लिया।महा पवित्र शिक्षक दिवस 5 सितंबर 1980 ई0 से नामांकन के साथ प्रारंभ हुआ।महाविद्यालय का संचालन करने हेतु एक योग्य एवं अनुभवी शिक्षक डॉक्टर राम बहादुर सिंह "रमन" विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र,निर्मली महाविद्यालय ,निर्मली को प्रधानाचार्य के पद पर आसीन किया गया ।

 

डॉ रमन ने महाविद्यालय के सर्वांगीण विकास हेतु सक्रिय भूमिका निभाई।उनकी कर्तव्य निष्ठा के कारण महाविद्यालय उत्तरोत्तर विकास करता रहा।महाविद्यालय परिवार के लिए डॉ रमन बहादुर सिंह "रमन" का नाम हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।